होली पर हुड़दंग और पौरुष शक्ति के देवता इलोजी

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होली पर हुड़दंग और पौरुष शक्ति के देवता इलोजी

इलोजी की होली के हुड़दंग देवता, फागण के देवता, पौरुष शक्ति के देवता के रूप में पूजा की जाती है। पुरुष तथा महिलाएं दोनों ही इनकी पूजा करते हैं। पुरुष अपना पौरुष और यौन शक्ति बढ़ाने के लिए तथा महिलाएं पुत्र की चाह में इनकी पूजा करते हैं। होली के अवसर पर राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रो में इलोजी की प्रतिमाएं किसी बड़े चौक चौराहों पर बनी हुई है। कुछ जगहों पर इलोजी को नाथुरामजी नाम से भी जाना जाता है।

होलिका के होने वाले पति इलोजी

इलोजी के बारे में यह कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका की शादी इलोजी से होनी तय हो चुकी थी। इलोजी और होलिका एक दूसरे से प्रेम करते थे। इस दौरान हिरण्यकश्यप के कहने पर प्रहलाद को जलाने के उद्देश्य से होलिका अग्नि में बैठी और ऋषि मुनियों ने कुछ ऐसा किया कि वो मन्त्र भूल गई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका जल गई।

हुड़दंग के देवता

माना जाता है की होलिका दहन के दिन ही इलोजी और होलिका का विवाह होना तय था लेकिन उसी दिन जब होलिका के जल जाने की सूचना मिली तो उधर वे पगला से गए और हुड़दंग करने लगे खुद के कपड़े फाड़ने लगे पूरे राज्य में इसकी चर्चा हो गई। इसलिये होली हुड़दंग के देवता भी कहते है। इलोजी ने फिर पूरी उम्र कुंवारा रहने का निर्णय लिया।

शादी संतान के लिये लिंग पूजा

राजस्थान में अनेक जगह मान्यता है कि जिनकी शादी में अत्यधिक विलम्ब हो जाता है या संतान नहीं होती वह इलोजी के लिंग की पूजा करते है तो सफलता मिल जाती है। राजस्थान के जालौर में होली वाले दिन इलोजी की बारात भी निकाली जाती है।

होली पर ही निकलते है इलोजी

इलोजी की जहां पर मूर्ति होती है वहां आमतौर पर कमरा या जगह बंद रहती है या साल भर उसकी कोई देखभाल नही की जाती। होली पर ही इनको पूजा जाता है। कई जगह गेवर के साथ इलोजी की मूर्ति साथ लेकर मोहल्लों में घुमाया जाता है। लोग प्रसाद चढ़ाते है व पति – पत्नी के प्रेम, विश्वास बने रहने और वंश वृद्धि की प्रार्थना करते है।

लोक देवता

भले ही इसको काम वासना या अश्लीलता मानते हो लेकिन राजस्थान के प्रायः जिलों में या गावों में इलोजी को लोक देवता मानकर आस्था के साथ पूजा जाता है। इलोजी का होलिका के प्रति प्रेम की वजह से ही लोगों ने इनको पूजना शुरू किया । हष्ट पुष्ट और सुंदर होने के बाद भी उन्होंने होलिका की मृत्यु के बाद भी कुंवारा रहने का निर्णय लिया।

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